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Tanha raah ka raahi

गरचे महफ़िल में कोई शख्स अकेला टूटे,
ऐसा लगता है किसी जिस्म से हिस्सा टूटे।

हर दफ़ा तुझे याद करूँ सबक़ की तरह,
हर बार मुझसे तेरी याद का पहाड़ा टूटे।

उससे मिलकर सब दोस्त यार टूट जाते है,
जब कोई उल्फ़त में हद से भी ज़्यादा टूटे।

आप हाथ बांध लें, तो दुआ में तासीर हो,
आप हाथ उठा दे तो चाँद आधा टूटे।

ये मेरा शौक़,मेरी आग,मेरा रक़्से-जूनूं
जो ये चाहता हूँ कि शीशे से लोहा टूटे।

उससे बिछड़कर टूटे तो टूटे हज़ारों में,
मुलाकात पे उसने कहा के बस इतना टूटे
             
मेरा दिल टूटने पर ऐसे उदास हूँ जैसे,
हाथों से किसी बच्चे के खिलौना टूटे।

मंज़िल बिछड़ती जाये है रफ़्ता रफ़्ता,
और आगे चलता हुआ हरेक रस्ता टूटे।

मैं जो टूट के बिखरा हूँ तो है मेरी ख्वाहिश 
की तिरा भी तो हुस्ने-ग़ुरूरे-यकजा टूटे।

ये दिल का रोग है कि इस रोग में सदा,
मजनू कहीं फरहाद तो कहीं 'तनहा' टूटे।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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7 Comments

Shnaya

28-May-2022 07:50 PM

बहुत खूब

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Raziya bano

23-May-2022 08:40 PM

Bahut khub

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Seema Priyadarshini sahay

23-May-2022 06:52 PM

बहुत खूबसूरत

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